Friday, May 27, 2011

...मेरे ब्लॉग के आभासी रिश्तों के नाम ...मेरी तरफ से , इक प्यार भरा पैग़ाम... २


 'दो'

निर्मला कपिला : इनके प्यार में ममता बरसे ,सब इनके आशीर्वाद को तरसें ||

हरकीरत "हीर" : तू क्या जाने पीढ़ पराई ,कितनी चोट 'हीर' ने खाई ||

दानिश जी : चेहरा नही दिखाते हैं ,पर्दे में रेह जाते हैं ,
पर शायरी... गजब  कर जाते हैं ||

राजिन्द्र स्वर्णकार : दिल से कोमल येह स्वर्णकार हैं 
सब को पहनाते येह फूलो की टिप्पणी का हार हैं ||

इन्दु गोस्वामी जी : सब को डांटती है... बस प्यार ऐसे ही बांटती  है ||

डॉ.वर्षा जी : इनका स्नेह सब पे बरसा जी ||

कविता रावत : प्रकृति की गोद में ,मासूम कविता !

वीना : तू मेरी भी बेटी है वीना 
मुझ को भी ,इक दिन जाना 
तू अब सीख ले बिन पापा के जीना ||

श्री ब्रज मोहन श्रीवास्तव: इसी बहाने मिल गई ,बिछडो. से अपनी वालदा 
नाम उसने अपना रख लिया... भले ही 'शारदा' |


डॉ.टी.एस. दराल : इनके लेख ललचाते हैं ,कभी-कभी; बहस में उलझाते हैं ||


प्रवीण पाण्डेय: अपनी एक लाइन की टिप्पणी में सब को बांधे ||

अजय कुमार झा: झा जी, आप रहेंगे सब पे; अब भी भारी                 
न माने जो बात, तारीख लगा दो तीस हजारी ||

आगे पेपर ...३ पर 

7 comments:

  1. यार चाचू, तेरी तो अब मौज ही मौज है.
    तेरे चाहने वालो की तो बड़ी मस्त फ़ौज है.

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  2. डान्टती हूँ???? क्या करूं ऐसिच हूँ मैं.
    जो हूँ जैसी हूँ आप सबकी हूँ.

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  3. बाँधे रहने के लिये प्यार की पतली डोर ही पर्याप्त है।

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  4. आप सब का आभार ! आप सब को शुभकामनाएँ !

    जो अभी तक नही आये ...उनकी राह देख रहा हूँ ,अपने एहसास
    जताने के लिये और उनका प्यार पाने के लिये !

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  5. परम आदरणीय प्रिय चाचाश्री

    प्रणाम !

    नेट और अन्य परेशानियों के कारण मैं यहां आ'कर भी उपस्थिति दर्ज़ नहीं करा पाया … इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूं ।
    …और मेरे प्यारे चाचा मुझे माफ़ करेंगे , इसका विश्वास है ।


    आपका प्यार और आशीर्वाद मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण और आवश्यक है …
    इसमें कभी कमी न करें ।

    बहुत बहुत शुभकामनाओं सहित
    राजेन्द्र स्वर्णकार

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  6. आयें हैं हम भी टिपण्णी की मार खाने ,खुद को हड़काने .,हड़क -वाने .

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  7. इतना प्यार देंगे तो कैसे भूलूंगी आपको
    पापा नहीं तो उनके रूप में दैखूंगी आपको

    जी तो रही हूं पर उनकी बहुत याद आती है...
    आपने जो प्यार-स्नेह दिया है उसका कोई मोल नहीं और किसी के भी प्यार का कोई मोल नहीं होता पर हौसला जरूर बढ़ा है...

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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