(एक)
और मैं चाहूँगा कि ये उन सब तक पहुंचे ...जिनके ये नाम है |
कैसे ..? इसमें आप सब मेरी मदद करें ,जैसे भी... आप कर सकतें हैं |
आभार होगा !
...आज अपना ब्लॉग बनाये मुझे तकरीबन 'छ:' महीने होने को आये|
तो सोचा , चलो ; आज अपना इम्तहान लिया जाये कि मैं अब तक
जिन-जिन आभासी रिश्तों के संपर्क में आया ...उनको पढ़ कर,टेलीफोन
पे बात कर ,इ-मेल कर या फिर थोड़ी चैट कर के, उनको मैंने कितना
जाना,पहचाना और समझा...??? अब कितना ,जाना ,पहचाना और
समझा ये तो आप ही बतायेंगें ....
समझा ये तो आप ही बतायेंगें ....
पास कर दिया तो ठीक ...नही तो दोबारा फिर इम्तहान की तैयारी|
यही जिन्दगी है ...जिन्दगी कदम-कदम पे इम्तहान लेती है |
पर हाँ एक बात : "ये मेरी पढ़ाई-लिखाई का इम्तहान नही ,ये मेरी
जिन्दगी से मुझे मिले मेरे तज़ुर्बों का इम्तहान होगा ...
अंत में : जाने-अनजाने किसी के दिल को दुखाने का कारण बन जाऊं
तो उन सब से हाथ जोड़ और दिल से माफ़ी का तलबगार हूँ ||
आप सब खुश रहें और स्वस्थ रहें ....
पेपर : १ ... शुरू !
सतीश सक्सेना : इनको मैंने अपना गुरु भाई बनाया है और इन्होने
अभी तक, अपना धर्म निभाया है ||
पाबला जी: यारों के है यार ,अपनी हा..हा..हा.. हंसी से सब को कर रखा
बावला जी ||
डॉ. परवीन चोपड़ा: ये सब की सेहत के रखवाली ,पर टिप्पणी से रहें खाली ||
राकेश जी : ये हैं एडवोकेट ...पर प्रवचन गीता पर करते हैं
और हर टिप्पणी पे धन्यावाद भी करते हैं ||
पी.सी . गोदियाल : सीखो... गोदियाल जी से जीना!
चाल चलो ,कर के चौड़ा सीना ||
डॉ .दिव्या श्रीवास्तव : ये iron lady कहलाती हैं ,पर'दिल' से जैसे
मोम पिघल सी जाती है ||
डॉ .दिव्या श्रीवास्तव : ये iron lady कहलाती हैं ,पर'दिल' से जैसे
मोम पिघल सी जाती है ||
डॉ. मोनिका शर्मा : ये दिल नही किसी का दुखाती हैं ,
टिप्पणी अपनी में सब पे प्यार लुटाती हैं ||
संगीता स्वरूप : हर एक की इच्छा अधूरी ,
पा इनकी टिप्पणी हो जाती पुरी |
क्या बात है,यार चाचू,आप तो गजब ही गजब करते हो
ReplyDeleteसौ में एक सौ एक नहीं, पर सौ तो 'डिजर्व' करते हो.
ReplyDeleteगुरुभाई का दर्ज़ा देने को आपका आभार भाई जी !
आप निश्चिन्त रहें जिस आपको ( खरा या खोटा ) अभी तक लगा हूँ वैसा ही अंतिम सांस तक रहूँगा.... :-)
आपके उपरोक्त दिए गए कुछ व्यक्तिगत स्लोगन, अपना अर्थ बताने में, बहुत स्पष्ट नहीं है ! मैं चिंतित हूँ कि सम्मानित लोग आपका अर्थ गलत लगायेंगे ! व्यक्तिगत नामधारी लोग हमारी मज़ाक अथवा कहे को सकारात्मक ही लेंगे , ऐसा मान के न चलें ! कुछ लोग आपके सामान्य स्लोगन में अपना अपमान ढूंढ लेंगे !
हो सके तो पुनरीक्षण कर लें !
सादर
कुछ अलग ही अंदाज़ देखने को मिला यहाँ ....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteअशोक जी , क्या बात है , बहुत जल्दी ब्लॉग जगत को पहचान लिया ।
ReplyDeleteलेकिन अपनी पहचान छोड़ने के लिए दुसरे ब्लोग्स पर जाना पड़ेगा ।
बहुत ही अच्छा लिखा है ... ।
ReplyDeleteगुरु भाई सतीश जी,
ReplyDeleteआप की सलाह पर मैंने अमल किया ....
बहुत खूबसूरत रचना, अंदाजे बयां बहुत ही शानदार लगा
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
.
ReplyDeleteअशोक जी , आपने मुझे याद रखा , यही मेरे लिए सबसे बड़ी सौगात है।
अभिवादन स्वीकार करें।
.
अशोक जी ,
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ ..आपने इतनी सूक्ष्मता से सबका अवलोकन किया है .. आपकी कुछ पहले की पोस्ट भी देखीं और पढ़ीं .. अच्छा लगा ..आभार
पास हैं जी सौ में से सौ नंबर लेके पास हुए हैं आप...बधाई...
ReplyDeleteनीरज
हा हा हा
ReplyDeleteसच्ची मुच्ची में कई लोग बावले हो चुके हैं, ब्लॉग इतिहास देखा जाए तो :-)
(सन्दर्भ: सतीश सक्सेना जी की टिप्पणी)
आपसे यही गुजारिश है
कि
स्नेह बनाए रखियेगा
प्यार भरा पैग़ाम...२ की प्रतीक्षा है…
ReplyDeleteदेखें , किसको क्या मिलता है ? :)
हार्दिक शुभकामनाएं हैं ।
@ डॉ. दराल जी ,आप की नसीहत पे अमल शुरू !
ReplyDelete@ पाबला जी , सत्य-वचन!सत श्री आकाल ..
@ राजेन्द्र स्वर्णकार जी, मेरे पास है क्या ...सिवाय प्यार के ..
जो भी यहाँ ,अपना प्यार मेरे साथ बाँटने आये |उनका सब का बहुत शुक्रगुज़ार हूँ | आपसब को ...
शुभकामनाएँ!
चाचाश्री प्रणाम !
आपका प्यार और आशीर्वाद मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण और आवश्यक है …
इसमें कभी कमी न करें ।
अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखें …
मेरे योग्य कोई कार्य हो तो आदेश करें …
बहुत बहुत शुभकामनाओं सहित
राजेन्द्र स्वर्णकार
Bahut Sunder.... mujhe is zikra me aapne sthan diya.... aabhar
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