Saturday, May 07, 2011

या दिल की सुनो .... दुनियां वालो ...

या मुझ को अभी चुप रेहने दो .....


जब बीती यादें ,याद आती हैं ...तो हेमंत जी का गाया येह गीत 
मेरी जुबां बन जाता है ... 


"छाई है हर तरफ़ खामोशी,
सकूं का आलम है  सब
न रही कहीं कोई आरजू
    न कही कोई बेचेनी है अब"।   
अशोक "अकेला "

6 comments:

  1. बड़ा प्यारा गीत है .....!शुभकामनायें आपको !

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  2. 'अनुपमा' फिल्म का है शायद.बचपन में देखी थी.बहुत दर्द भरा और दिल को छूता गीत है.

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  3. समझ तो गयी कि कौन सा गीत है लेकिन आवाज़ स्पष्ट नही थी। बहुत अच्छा गीत है। शुभकामनायें।

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  4. बहुत अच्छा गीत है। धन्यवाद|

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  5. ashok ji aaj neeraj ji ke blog ko padte huye apke blog par aa gayi...bahut pasand aayi apki sada si pasand aur lekh abhi pura pda nahi hai par jitna pda dil ko chu gya thx ...parul singh

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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