Tuesday, May 03, 2011

अब आप इन लाइन्स को ...कहाँ फिट करेंगें ...???

"मेरे अपने हाथों खींचा चित्र "

अपनी "प्रशंसा" को तो सब चाहते हैं,
कुछ! अपनी ही ..".प्रशंसा" को चाहते हैं ...???

एक हमारे परम "सज्जन" मित्र है | जो रोंज सुबह हमारे साथ होते हैं |
सुबह की सैर के वक्‍त ! रोंज मिलना जुलना ,बाकी दोस्तों के साथ बैठ 
के गप-शप करना ,तरह-तरह की बाते बतियाना आदि,इत्यादि ,वगेरह-वगेरह ...
उनकी एक बड़ीया  आदत है ,उनसे जो भी बात करता है ,वो उसकी बात बड़े 
गौर से और मन लगा के एकाग्रचित हो कर सुनते हैं | जाहिर है ,सुनांने वाले 
को भी बहुत मज़ा आता है कि उसकी बात इतने ध्यान से सुनी जा रही है ...
बात लंबी होती जाती है ,अपना पूरा विस्तार लेती जाती है और समय भी ...
बात खत्म हुई ! सुनाने वाले कि आँखों में टिप्पणी के लिए प्रश्न-चिन्ह उभरता 
है ...???अब "सज्जन" मित्र की बारी है टिप्पणी के लिए ,और उनके मुहँ से 
यकायक निकलता है "मैं आप की बात... नही समझा...???

अब सुनाने वाले का मुहँ देखने के काबिल होता है ,आँखे फटी ,मुहँ खुला ,चेहरे पे 
झल्लाहट .माथे पे शिकन बाकि का अंदाजा आप लगाएं ?
अच्छा ! ये रोंज की बात है ,कोई न कोई अपनी सुनाता है ,और वो सज्जन सुनते हैं ...
और आखिर में " मैं आप की बात... नही समझा " ...???

...फिर एक दिन हम दोनों अकेले ही एक-दूसरे के हत्थे चड़ गये ...मैंने मन में सोचा कि 
आज "मैं इन को लपक लूँ " मैंने झट से उनपे अपना सवाल दाग दिया "सज्जन भाई ये
 आप का क्या फंडा है ,कि सब सुनने के बाद आप बोल देते हो कि "मैं आप कि बात... नही समझा " 
सुनाने वाले को कितना बुरा लगता होगा कभी सोचा है आपने ? मेरी बात सुन सज्जन 
भाई मुस्करा दिए ,और हंस के बोले "सलूजा जी ,कभी मेरे से पूछा है किसी ने,कि क्या बात 
समझ मैं नही आई ..? 

आज आप ने पूछा है तो बता देता हूँ !!! "कि अव्वल  तो मेरे को किसी की बात समझ में 
आती ही नही ,और अगर आ भी जाये तो मैं किसी की बात मानता ही नही " जब किसी की 
बात माननी ही नही ती इससे ये ही अच्छा है कि" मैं आप की बात...नही समझा " ये ही 
बोल कर छुटकारा पा लूँ ..क्यों ? अब ...बारी मेरे मुहँ खुला रेहने की थी ...
और फिर एकाएक हम दोनों एक दूसरे के हाथ पे हाथ मारकर जोर से ठहाका लगा कर 
हंस पड़े ...और इस तरह हमारी नेचुरल लाफिंग थैरेपी हो गई ...
अब आखिर में आप के लिए हल करने के लिए एक सवाल :-
आप सब पड़े-लिखे, एक अनपड़ के लेख में गलतियाँ निकालें और मेरी की हुई गलतियों से 
मुझे कुछ समझाएं ,सिखाएं और अपनी पीठ थपथपाएं...!!!
आभार होगा !

(गुस्सा बिल्कुल न करें हो सके तो मेरी नादानी पर थोडा हँसे थोडा मुस्कराएं )
बच्चा बुङा  एक समान :-) :-) :-)     
(इरादा सिर्फ आप के चेहरे पर मुस्कराहट लाने का ...)
अशोक"अकेला"

4 comments:

  1. लगता है बातें तो आपने अच्छी की हैं यार चाचू,पर समझ में नहीं आई.
    आपके लेख में गलतियाँ ! बाप रे बाप ! ये भी कोई समझने में आनेवाली बात है.आखिर बुढ़ापे दा शरमाया है,कोई मजाक नहीं.

    ReplyDelete
  2. अब आपही हमें बेवकूफ बनाते रहते हो :-(
    हम खूब जानते हैं कि अनपढ़ कौन होता है !
    शुभकामनायें भाई जी !

    ReplyDelete
  3. समझे नही आपकी बात????????? हा हा हा बहुत रोचक प्रसंग है। हम तो बिलकुल ही अनपढ हैं, इस लिये समझ लेते हैं आपकी बात आजकल के पढे लिखों को समझाना जरा कठिन होता है। शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  4. Very inspiring instance....regards.

    ReplyDelete

मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...