Saturday, May 21, 2011

न हँसो ,हम पे जमाने के हैं,ठुकराए हुए... दर-ब-दर फिरते है ,तकदीर के बहकाए हुए...


 आज... याद करतें हैं,अपने गुज़रे  पुराने दिनों को |
आज मैं, आप को वो गज़ल  सुनवाऊंगा जो मेरी किशोरावस्था की है |
येह गज़ल १९५७ की  है ,जब मैं १५ साल का था |तब येह पिक्चर 
मैंने देखी थी ... नाम...Gateway of India ...पर्दे पर अपने समय की, 
सबसे खूबसूरत अदाकारा ,मधुबाला जी ने इस गज़ल को  पेश किया है |
खूबसूरत आवाज: लता जी की ,खूबसूरत संगीत: मदन मोहन जी का| 
और खूबसूरत शब्दों से सजाया है;राजिंदर कृष्ण जी ने |
हाँ, पिक्चर बनाई थी ओम प्रकाश जी ने |
पिक्चर के बाकी अदाकार थे : भारत भूषण ,प्रदीप कुमार और ओम प्रकाश जी, खुद | इस पिक्चर के सारे गाने बेहतरीन थे और आज भी हैं |
पर मुझे तब भी और अब भी येह गज़ल सबसे ज्यादा पसंद है |
आप भी सुनें, मेरी पसंद! शायद...आप को भी पसंद आये ...हाँ एक बात और 
येह गज़ल पिक्चर के बाकी गीतों में से सब से कम सुनी गई है |
पर मुझे आज भी सबसे ज्यादा यही गज़ल पसंद है | पसंद ...अपनी अपनी ...

गज़ल के बोल हैं : न हँसो ,हम पे जमाने के हैं,ठुकराए हुए 
 दर-ब-दर फिरते है ,तकदीर के बहकाए हुए...
अशोक"अकेला"


9 comments:

  1. Beautiful ghazal !...I'm very much fond of ghazals. Enjoyed listening. Thanks Ashok ji.

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  2. खूबसूरत दिल को छूती गजल.
    आपका भी जबाब नहीं यार चाचू.
    दिल के तारों को छेड़ देते हो.

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  3. था तो मै भी 15 का ही उस वक्त मगर हम गांव में रहते थे सिनेमा जानते ही न थे आपने गजल सुनवादी धन्यवाद शहर में आकर सबसे पहले मधुवालाजी को चलती का नाम गाडी में देखा था ं

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  4. न हंसो हम पे ज़माने के हैं....

    गुज़रे ज़माने की यादों से रु ब रु करवाता हुआ
    यादगार गीत सुनवाने के लिए
    बहुत बहुत शुक्रिया ...
    वाह !!

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  5. आद अशोक जी .
    आदाब ......
    इस खुबसूरत अदाकारा के खूबसूरत और पसंदीदा गीत के लिए शुक्रिया ....
    बहुत दिनों बाद आँखें बंद कर इस गीत का आनंद लिया ....
    मुझे मालुम है दानिश जी के बाद डॉ दराल जी और नीरज गोस्वामी जी को ये गीत बेहद पसंद आयेगा
    उन्हें भी आमंत्रित कीजिये ....
    एक बार फिर सुने जा रही हूँ .....

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  6. आद सलूजा जी ,

    बुढापे का सरमाया भी सुनी ....
    सुभानाल्लाह .....!!
    आपके इस सरमाये को सलाम ....
    जय श्री राम ......

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  7. अशोक जी , ग़ज़ल तो वाकई हमने पहले नहीं सुनी थी । सुनकर भारी दिल से मधुबाला की जीवनी याद आ गई । मधुबाला पर ज्यादातर शोख गाने ही देखे हैं ।

    या दिल की सुनो --ये गाना कॉलिज के दिनों में बहुत पसंद आया था और अब भी है ।

    ब्लॉग पर आने का शुक्रिया ।
    कभी कभी आर्ट फिल्म देख लेने में कोई हर्ज़ नहीं । :)

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  8. हरकीरत जी ने तारीफ की तो बुढ़ापे दा सरमाया पढ़ा जी --सर जी , तुसी कित्थे बुड्ढ़े लगते हो ! जन्मदिन की तीसरी और चौथी सिल्वर जुबली मनानी है जी अभी तो ।

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  9. itna pyara gana post kiya pr...nhi sun paa rhi hun.shayd is वीडियो को ही डिसेबल्ड कर दिया गया है.गूगल की शरण में जा कर कहीं से भी ढूंढ निकालूंगी.बहुत ही मर्मस्पर्शी गाना है यह. इससे पहले गुलाम अली की गजल भी सुनी.बहुत अच्छी लगी.उसे भी ऑडियो में कन्वर्ट करती हूँ.आप तो बस ऐसे ही प्यारे प्यारे गीत गजल शेअर करते रहिये और अपने स्वस्थ्य का पूरा ध्यान रखिये वीर जी !

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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