अशोक सलूजा |
मेरी पसंद ... आप भी सुनें ...!!!
चाँद फिर निकला ...मगर तुम न ...
वर्ष : १९५७ फिल्म: पेइंग गेस्ट
पर्दे पर: नूतन जी
स्वर: लता जी
संगीत: एस.डी. बर्मन साहिब
गीतकार: मजरूह सुल्तानपुरी जी
सहकलाकार :देव आनन्द जी
तो आयें सुनते हैं ...और तब तक सुनते रहें... जब तक आने वाला,.. आप के पास न आजाये,और फिर सकूँ से सो जाएँ ...शब्बा खैर...
...
बहुत खूबसूरत गीत है । आभार इसे सुनाने के लिए ।
ReplyDeleteशाम को ख़ूबसूरत बना दिया अपने.. मेरे पसंदीदा गीतों की लिस्ट में बहुत ऊपर आता है यह गीत..
ReplyDeleteबहुत कर्णप्रिय व मधुर गीत सुनवाने के लिये धन्यवाद...
ReplyDeleteLoving this beautiful song..thanks.
ReplyDeleteराम राम यार चाचू.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपके आने का बहुत बहुत आभार.
बहुत सुन्दर गीत और संगीत.
आनंद आ गया.पुराने दिन याद आ गए.
चाँद फिर निकला, मगर तुम न आये जला फिर मेरा दिल करूँ मैं क्या हाय !.....सच बहुत ही गहरी विरह वेदना है इस गीत में
ReplyDelete...मन पसंद गीत प्रस्तुति के लिए आभार
कभी मन बेचैन हो जाता है तो इस गीत को आँखें बंद करके बांसुरी पर छेड़ लेता हूँ.आपके पास अनमोल संग्रह है .यदि संभव हो तो मुकेश जी का गीत-हिया जरत रहत दिन-रैन हो रामा(फिल्म-गोदान) सुनवाइयेगा .आभारी रहूँगा.मेरे पास आडियो कलेक्शन में था.कैसेट डैमेज हो गया है.आपके टेस्ट पर इत्मिनान से लिखूंगा.
ReplyDeleteकभी मन बेचैन हो जाता है तो इस गीत को आँखें बंद करके बांसुरी पर छेड़ लेता हूँ.आपके पास अनमोल संग्रह है .यदि संभव हो तो मुकेश जी का गीत-हिया जरत रहत दिन-रैन हो रामा(फिल्म-गोदान) सुनवाइयेगा .आभारी रहूँगा.मेरे पास आडियो कलेक्शन में था.कैसेट डैमेज हो गया है.आपके टेस्ट पर इत्मिनान से लिखूंगा.
ReplyDeleteहमारे जमाने का गाना सुनवाया , नूतनजी के दर्शन कराये, फोटोफुनिया से चित्र बनाया । धन्यवाद
ReplyDelete@ निगम जी, आप की फरमाइश जल्द पुरी करूँगा |
ReplyDelete@श्रीवास्तवा जी आप का कहा सब सही है |
आप सब ने मेरी पसंद को अपनी पसंद बनाया !आनन्द आया ...
ऐसी महफिल जमाते रहेंगे | आप सब का शुक्रिया |
wah kya song yaad dilaya hai aapne kitna sada sondrya nutan ji ka aur kitni khubsurat acting..SD ka music to jabardast..thx parul singh
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