कितनी सच्चाई थी कल ZEAL की पोस्ट मैं :
ये आज उभर कर सामने आ गया ...
महिला दिवस ...पर हर उम्र की महिलाओं को पुस्कारों से
भारत की राजधानी मैं नवाजा गया ?
डी.यू की २० वर्षीय छात्रा को गोली मार कर इस नश्वर संसार
से भाव-भीनी विदाई दे कर इनाम से नवाजा गया |
३२ साल की महिला को उसके पति के हाथो सीडियों से गिरा कर
मुक्ति दिलाई गयी |
७५ साल की एक महिला को मिक्सेर की तार से गला घोंट कर
इस बुडापे से मुक्ति दिला कर इनाम से नवाज गया और अपने किये
पे सबाब पाया | और न जाने भारत मैं कहाँ कहाँ और क्या-क्या ...
सो इस तरह से बिना किसी भेद-भाव माँ-बहन -और बेटी को
पुरस्कार से नवाज कर महिला दिवस को शान से मनाया गया ||
हाँ...ऐसा सिर्फ हमारे हिंदुस्तान में ही हो सकता है |
जय महिला दिवस !
जय भारत महान !
फिर भी हम इन्सान ?
डाक्टर दिव्या , अगर आप की नजर से ये पोस्ट गुजरे तो कृपया ,
इसपे, अपने ब्लॉग पर एक भर-पूर् तगड़ी ,तीखी,दिलों को भेदने वाली
पोस्ट अपने सच्चे और बेबाक शब्दों की लड़ी मैं पिरोकर लिखे |
लोगो को सोचने पर मजबूर कर दें ...की यही सच है.....
मैं मजबूर हूँ ,मेरे पास शब्दों की भारी कमी है ...पर मेरे पास एहसास
भरपूर है| उन्हें साथ मिला लें और हम जैसो की आवाज बन कर उभरे |
बहुत बहुत आशीर्वाद सहित ....अशोक "अकेला"
ये आज उभर कर सामने आ गया ...
महिला दिवस ...पर हर उम्र की महिलाओं को पुस्कारों से
भारत की राजधानी मैं नवाजा गया ?
डी.यू की २० वर्षीय छात्रा को गोली मार कर इस नश्वर संसार
से भाव-भीनी विदाई दे कर इनाम से नवाजा गया |
३२ साल की महिला को उसके पति के हाथो सीडियों से गिरा कर
मुक्ति दिलाई गयी |
७५ साल की एक महिला को मिक्सेर की तार से गला घोंट कर
इस बुडापे से मुक्ति दिला कर इनाम से नवाज गया और अपने किये
पे सबाब पाया | और न जाने भारत मैं कहाँ कहाँ और क्या-क्या ...
सो इस तरह से बिना किसी भेद-भाव माँ-बहन -और बेटी को
पुरस्कार से नवाज कर महिला दिवस को शान से मनाया गया ||
हाँ...ऐसा सिर्फ हमारे हिंदुस्तान में ही हो सकता है |
जय महिला दिवस !
जय भारत महान !
फिर भी हम इन्सान ?
डाक्टर दिव्या , अगर आप की नजर से ये पोस्ट गुजरे तो कृपया ,
इसपे, अपने ब्लॉग पर एक भर-पूर् तगड़ी ,तीखी,दिलों को भेदने वाली
पोस्ट अपने सच्चे और बेबाक शब्दों की लड़ी मैं पिरोकर लिखे |
लोगो को सोचने पर मजबूर कर दें ...की यही सच है.....
मैं मजबूर हूँ ,मेरे पास शब्दों की भारी कमी है ...पर मेरे पास एहसास
भरपूर है| उन्हें साथ मिला लें और हम जैसो की आवाज बन कर उभरे |
बहुत बहुत आशीर्वाद सहित ....अशोक "अकेला"
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ReplyDeleteअशोक जी ,
आप जैसे संवेदनशील व्यक्तित्व ही समाज का मज़बूत स्तम्भ हैं , जिनकी स्नेहिल छत्रछाया में हम उन्नति कर सकते हैं । आपके आशीर्वाद से मेरा जीवन धन्य हो गया ।
.
सही कहा आपने ऐसा सिर्फ भारत मे ही हो सकता है
ReplyDeleteआपके पास शब्दों की कमी बिल्कुल नहीं है।
ReplyDeleteआप जो कहना चाह रहे हैं वो बहुत ही स्पष्ट रूप से प्रेषित हो रहे हैं।
ये भी तो फख्र की बात है जो आपकी 'ZEAL' जैसी बिटिया के कारण ही आपके ब्लॉग पर आना हुआ.अच्छा-बुरा सभी कुछ तो है.जहाँ बुराई से दिल में जलन हो ,तो अच्छे से दिल में उमंग भी तो होनी चाहिए .
ReplyDeleteashok ji, shbdon se jaada aaj ahasas ki jarurat hai jo bahut kam jagah par dekhne ko milti hai.........
ReplyDeletebahut sunder....
आप अपनी बात सहज और सरल शब्दों में कहिये ..हम सब तक पहुंचेगी आप की आवाज़ ....
ReplyDeleteकुछ और यादें महिला दिवस की-
ReplyDeleteसुशील जी महिला दिवस ....हम सब नारी उठान की कितनी बातें करते है ...पर क्या हकीकत में ऐसा होता है...आज ही मेरे बाई ने बतय की उसके पति ने दूसरी शादी कर ली है .....और वो जर जर रोई...मेरा मनभर आया और थोड़ी हे देर के बाद मेरे एक दोस्त का फोन आया की उसके पति ने कह दिया है कि वो उसकी और उसके बचों की जिम्मेदारी नहीं उठा सकता...और वो अपने मायके आ गयी ....एक औरत अनपढ़ है और दूसरी एल.एल. बी....बतायिए मन का दुःख किससे कहे...
Sharmindagi hoti hai is vyavastha se aur ismein hamari apni bhumika se bhi.
ReplyDeleteहालात यक़ीनन अफसोसजनक हैं अशोकजी ...... इस तरह की घटनाएँ आये दिन होती हैं..... जो मन को बहुत आहत करती हैं.... आभार महिला दिवस पर इस सार्थक और विचारणीय पोस्ट के लिए
ReplyDelete.
ReplyDeleteआपके आदेशानुसार निम्न लेख है --
http://zealzen.blogspot.com/2011/03/blog-post_09.html
Thanks and regards,
.
' ओरत तू जननी है 'आज यह नारा घूमिल पढ़ गया है महिला दिवस जैसे बड़े -बड़े भारी शब्द हमे बहकाने के लिए व्यर्थ है -
ReplyDeleteकल के समाचार मेंने भी देखे थे और बच्चे कह रहे थे की आज महिला दिवस पर महिलाओं की ऐसी दुर्गति ! वाकई में यह हिन्दुस्तान में ही संभव है जो देश केवल क्रिकेट पर चलता हो उससे आपेक्षा भी क्या की जा सकती है --
आप सब का जिन्होंने मेरे एहसास की कद्र की
ReplyDeleteऔर मेरे अकेलेपन का साथ दिया |
बहुत बहुत शुक्रिया !
आप सब बहुत खुश और स्वस्थ रहें !
अशोक सलूजा |
इस से अधिक दुर्भाग्य और विडम्बना की बात क्या हो सकती है !
ReplyDeleteyahan hindi men likhun kaise ? email se bataven
ReplyDeletepranaam...aapke blog par pehali baar aanaa safal huaa...mera vichar hai ki ehesaas shabdoin ki aatmaa hote hain ...
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