Saturday, March 26, 2011

पतझड़ में ...टूटा पत्ता !

बनवास खत्म हो चुका है !पार्क में जाना शुरू कर दिया है| 
                                      वहाँ आजकल पेडों से पतझड में पत्ते टूट कर गिर रहें हैं|
उन्हें देख कर कुछ इस तरह से एहसास हुआ:-  

पतझड़ में पत्ता टूटा,
अब शाख से नाता छुटा |
जब तक डाली पे लटका था, 
न जान को कोई खटका था |
अब कौन करें रखवाली, 
रूठ गया बगिया का माली |
क्यों सूख गिरा नीचे मैं , 
मैं वहाँ किसी का क्या लेता था |
धूप में छांव ,गर्मी में, ठंडी हवा, 
मैं हर चलते राहगीर को देता था |

अब किस पर छांव बनाऊंगा ,
अब पैरों में रोंदा जाऊंगा | 
अब झाड़ू से बुहारा जाऊंगा, 
फिर मिटटी में मिल जाऊंगा | 
अब पानी में गल जाऊंगा , 
आग लगी जल जाऊंगा |
जिस मिटटी में जन्मा था, 
उसी में फिर दब जाऊंगा |
जब बरसे गा मुझ पे पानी, 
लौट के फिर आ जाऊंगा |

यही है जीवन-मरण का नाता ,
रचे जो इसको ,उसको केहते 
भाग्य-विधाता ||

अशोक"अकेला"
  

ये मेरे हाथ का खींचा चित्र जो आप उपर देख 
रहे हैं ! ये उसी पार्क के एक कोने का है |



13 comments:

  1. वाह! यार चाचू गजब ढहा दिया.

    ReplyDelete
  2. एक सूखे पत्ते के आधार पर सृष्टि के विकास क्रम का शानदार वर्णन.

    ReplyDelete
  3. जीवन की नियति यही है ..और हम भूल करते हैं हर बार कि जीवन का सफ़र बहुत लम्बा है लेकिन हम जन्म के बढ़ रहे होते हैं मृत्यु की तरफ ..आपकी कविता में इस भाव का सशक्त वर्णन हुआ है ..आपका आभार

    ReplyDelete
  4. आदरणीय काकाश्री अशोक सलूजा जी
    सादर सस्नेह अभिवादन !
    प्रणाम !!


    ♥ जन्म दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥


    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete
  5. आदरणीय अशोक सलूजा जी
    सादर प्रणाम

    जन्म दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं

    आपकी कविता में इस भाव का सशक्त वर्णन हुआ है

    ReplyDelete
  6. जब तक डाली पे लटका था,
    न जान को कोई खटका था |
    अब कौन करें रखवाली,
    रूठ गया बगिया का माली |
    सुन्दर भाव है सर जी !

    ReplyDelete
  7. कल रविवारीय व्यस्तता में आवश्यक टाईम नहीं मिल पाने के कारण आपके जन्मदिन की जानकारी पाने व आपको शुभकामनाएँ देने से मैं वंचित रहा । अतः क्षमा सहित-
    जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ...

    ReplyDelete
  8. एक सूखे पत्ते के आधार पर सृष्टि के विकास क्रम का शानदार वर्णन.
    @ SUSHIL JI NA SAHI KAHA HAI

    ReplyDelete
  9. .

    जन्म-दिन की हार्दिक शुभकामनाएं । ये शुभ दिन आपके जीवन में अनंत खुशियाँ और अच्छा स्वास्थ्य लाये।

    देर से जन्म-दिन की शुभ कामनाओं के लिए क्षमाप्राथी हूँ ।

    .

    ReplyDelete
  10. .

    @- क्या अपने जन्मदिन पर आप की बधाई का हकदार भी नही था ?

    --------

    अशोक जी , आपने जो शिकायत की है मेरे लेख पर , वो जायज़ है और उसके लिए क्षमाप्रार्थी भी हूँ , लेकिन मेरी एक मजबूरी है , जिसका जिक्र यहाँ कर रही हूँ । शायद आप मुझे समझने की कोशिश करेंगे।

    मेरे dashboard पर कुछ तकनिकी खराबी के कारण उस पर किसी के भी ब्लॉग पोस्ट अपडेट नहीं होते । अतः मैं उन्हीं ब्लॉग्स तक पहुँच पाती हूँ जिनकी टिप्पणियां आती हैं मेरे ब्लौग पर । और जब समय पास होता है तो किसी भी एक एग्रीगेटर को खोलकर वहाँ दिख रही पोस्टों को पढ़ती हूँ और कमेन्ट करती हूँ। फिर ब्लौगिंग के लिए निर्धारित समय समाप्त हो जाता है । फिर शेष समय दो छोटे बच्चों और परिवार के प्रति दायित्वों की पूर्ती में निकल जाता है । इसलिए कभी-कभी कुछ पसंदीदा ब्लॉग्स पर नहीं पहुँच पाती हूँ । इसके लिए मन में हमेशा दुःख रहेगा।

    सादर ,
    आपकी दिव्या।

    .

    ReplyDelete
  11. अशोक जी यही तो फर्क है इंसान और पेड़ में .पेड़ अपनी खाद खुद बन जाते हैं .

    ReplyDelete

मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...