Friday, March 11, 2011

इस टाइटल को क्या नाम दूँ ....? (१)














मैं अशोक सलूजा अपने जीवन बसंत के ७० वें वर्ष मैं प्रवेश करने जा रहा हूँ | सो इस पुरानी उम्र वाले 
अपने बजुर्ग से अपनी इस नई ब्लाग कि दुनियां मैं कोई तकनीकी ज्ञानं कि उम्मीद न करना | मैं तो पेहले ही 
स्पष्ट रूप से मान चुका हूँ ,कि मैं तो आप के ब्लॉग की नगरी मैं भूले-भटके आ गया |बगैर कुछ सीखे-सिखाए 
सिर्फ ओर सिर्फ समय बिताने के लिये ,अपना अकेलापन मिटाने के लिए ,बिना इसकी क.ख. सीखे |

पर आज अचानक अपनी एक पोस्ट पर "महिला दिवस "के उपर आप की टिप्पणी पड़ कर घबराहट सी हो गयी कि कही आप ने मुझे कुछ खास तो नही समझ लिया |जिसका मैं कतई हकदार नही ! न मुझे ठीक से लिखना आता है|और न ही मैं अपनी बात ठीक से समझा पाता हूँ |क्यों कि एक तो मैं इतना पड़ा लिखा नही हूँ |फिर इस कंप्यूटर की दुनिया से एकदम अनजान !बस...दिल से सोचता हूँ ,दिमाग से नही ,थोड़े से ऐहसास हैं |जिससे किसी के दुःख और प्यारका ऐहसास कर सकूँ | फिर चाहे कुछ पल ले लिए ही सही ,उससे अपना प्यार बाँट सकूं |

दुःख तो कोन किसी के बाँट सकता है ?वो तो हर एक का  अपना हिसाब है ,जिसे उसने अपने फार्मूले से खुद ही 
हल करना है | पर मेरा मानना है कि थोड़े से प्यार से ही दुखों से लड़ने  कि ताकत दुगनी और जीने कि चाहत से
भी प्यार हो जाता है |बस इसी को  भावुकता कहते है ,जो सिर्फ दिल की  सुनते है ,पर येह गल्त है | में अपनी 
उम्र के उस मुकाम पर हूँ ,जहां इसको बदलना मेरे बस  मैं नही ,और न ही मेरी  फितरत मैं |

पर सिर्फ  भावुक हो कर कामयाबी के शिखर पर नही पहुंचा जा सकता |उसके लिए दिमाग का इस्तेमाल भी 
जरूरी है (जिसे आज कल आप लोग (Be practical) कहते हैं |इस लिए आप सब जवां दिलों को दिमाग का 
भी साथ लेना होगा ,ताकि आप सब अपनी जिन्दगी मैं अच्छी और खुबसूरत इच्छाओं को पूरा कर सको |अपने 
माँ-बाप कि आशाओं पर भी खरे उतरो |सो दिल ओर दिमाग दोनों से सही वक्त पर सही काम ओर सही निर्णय 
ले सको ,दूसरों को खुश करने कि कोशिश करोगे तो खुद को अपने आप खुशी  और सकूं हासिल होगा ...
.....कल बस एक ओर ....२
.




6 comments:

  1. श्री अशोकजी नमस्कार,
    सबसे पहले आपको जीवन के इस महत्वपूर्ण पडाव पर पहुँचने की शुभकामनाएँ...
    कल ही मैंने आपका ये ब्लाग फालो किया और आज मेरे डेशबोर्ड में आपकी एक साथ 11 नई पोस्ट दिख रही हैं । यदि आप मुझे अपना शुभचिंतक मानते हैं तो एक या दो दिन में एक से अधिक पोस्ट मत लगाईये वर्ना आपके लिखे पर लोग कतई रुचि नहीं लेंगे । इसकी बजाय आप समय पास करने के लिये दूसरे ज्यादा से ज्यादा ब्लाग लेखकों की पोस्ट पढें व अपनी समझ के मुताबिक वहाँ अपनी टिप्पणियां अवश्य लिखें तो ही आपके ब्लाग पर पाठकों का ट्राफिक बढ पावेगा । इस पूरी प्रक्रिया में सब कुछ धीमी व सामान्य गति से ही हो सकेगा किन्तु जब आप ढेर सारी पोस्ट हर समय डालते चले जावेंगे तो आप अपने हर फालोअर के डेशबोर्ड पर ऐसा कब्जा करने लगेंगे जिसे कोई भी पसन्द नहीं करेगा क्योंकि इस डेशबोर्ड के आधार पर ही वह अन्य सभी ब्लाग लेखकों की पोस्ट देख पाता है और डेशबोर्ड की क्षमताओं की एक सीमा होती है । इसलिये यदि आपकी ढेर सी पोस्ट लगातार आवेगी तो आपके ब्लाग पर फालोअर्स बढने की बनिस्बत घटने चालू हो जाएँगे । आशा है आप बगैर बुरा माने मेरे इस सुझाव का मंतव्य समझ कर ही यहाँ आगे चलने का प्रयास करेंगे । शेष धन्यवाद सहित...

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  2. अब आप अकेले कहां हैं :)
    अशोक ही स्वागत है आपका इस दुनिया में.

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  3. सुशील बाकलीवाल जी,
    नमस्कार..........!
    धन्य हो गया मैं ,जो आपने मुझे अपनी सलाह देने के काबिल समझा !मैं आप से नम्रता पूर्वक निवेदन करना चाहता हूँ की मैं बिल्कुल आप की दी हुई सलाह पर ही चल रहा हूँ और आप की लिखी ब्लाग के बारे पोस्ट बार -बार पड़ता हूँ |पर शायद आप का ध्यान मेरी पोस्टो की तारीखों पर नही गया |वर्ना आप को मुझ से अपनी की हुई शिकायत न होती |बात ये है कि, तिथि देखेगे तो आप सब समझ जाये गे कि येह आप के कहे अनुसार ही पोस्ट लिखी गयी हैं ,यानि सारी एक दिन मैं नही !इतना काबिल मैं कहाँ ?
    येह तो मैं अपनी इस पोस्ट मैं खुल कर कबूल कर चुका हूँ |मुझे टिप्पणी नही ,सुझाव चाहिए
    जो आप ने दिया ...शुक्रिया आप का |अब अस्ल बात का खुलासा हो जाये तो बात बने और आप का साथ भी और सलाह भी मिलती रहे |
    तो बात येह है बाकलीवाल जी की मेरी पोस्टस २१.२.११ के बाद गूगल रीडर पर अपडेट ही नही हो रही थी ...अब कहाँ थी ...किधर थी ..इसके बारे में आप ही जानते होंगे मुझे तो कुछ ज्ञान नही |हाँ मैं परेशान जरूर था और इसके बारे मैं मेने पाबला जी,हिंद टेक ब्लॉग वाले नवीन जी से भी दो-दो तीन -तीन बार बात हुई
    पर बात बनी नही|फिर आज अपने लडके ने मदद की तो सवाल हल हुआ ....ओर वो सब रुकी हुई पोस्ट्स आप के डेशबोर्ड पर छा गाई|
    बस ये बात थी मेरे मालिक ! तकलीफ के लिए माफ़ी चाहता हूँ ओर आप की सलाह का हमेशा इंतज़ार करूँगा और उस पे चलूँ गा भी |तो ही कुछ नया सीख पाउँगा |
    धन्यवाद !

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  4. कल इतनी पोस्ट देखकर मै भी हेरान थी और इस कारण मै एक भी नही पढ सकी --माफ़ करे !

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  5. धन्यवाद अशोकजी इस स्पष्टीकरण के लिये.

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  6. जब भी कोई नया फोलोवर बनता है तो फोलो करने वाले के dashboard पर एक साथ पिछली कई पोस्टें दिखती हैं ।

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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