Monday, March 07, 2011

एक बेटी के एस एम् एस ...अपने पापा को...


रिश्ते और रास्ते एक सिक्के के दो पहलू होते हैं 
कभी रिश्ते निभाते-निभाते रास्ते बदल जाते हैं 
कभी रास्ते पे चलते-चलते रिश्ते बन जाते हैं ||

रिश्ते एक मासूम पंछी की तरह  होते हैं 
सख्ती से पकड़ोगे तो मर जायेंगे 
ढीले से पकड़ोगे तो उड़ जायेंगे 
प्यार से पकड़ोगे हमेशा  साथ रहेंगे ||


2 comments:

  1. .

    रिश्ते एक मासूम पंछी की तरह होते हैं
    सख्ती से पकड़ोगे तो मर जायेंगे
    ढीले से पकड़ोगे तो उड़ जायेंगे
    प्यार से पकड़ोगे हमेशा साथ रहेंगे ...


    अशोक जी ,

    इतनी प्यारी पंक्तियाँ तो कोई आप जैसा , निश्छल मन वाला ही लिख सकता है । आपका स्नेह , आपको पढने वाले तक सहज ही पहुँच जाता है ।

    सादर,
    दिव्या

    .

    ReplyDelete
  2. दिव्या !
    मुझ जैसे बड़े-बुडे अनाड़ी का होंसला अफजाई करना
    भी तुम जैसी बेटी का ही काम है |

    बहुत आशीर्वाद के साथ ...

    ReplyDelete

मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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