Tuesday, March 22, 2011

हिंदी अखबार "हिन्दुस्तान" की...हेड-लाइन...?











(इस होली किसी बजुर्ग को हंसाइये !)
तो इस होली आप किस बजुर्ग को 
खुश कर हें ?ये बात आप से इस लिए 
पूछी जा रही है कि क्योकि जब आप 
गुलाल लिए ,दूसरे के गाल लाल कर 
रहें होंगे उसी वक्त देश भर मैं ७५ फीसदी 
बजुर्ग किसी अपने के हाथों के स्पर्श को 
तरस रहें होंगें ...वो एहसास तो उन्हें उन्ही 
हाथों से मिल सकता है | जिसकी कभी उन्होंने 
ऊँगली थाम के चलना सिखाया ,पर फिर भी 
कुछ देर के लिए ही सही आप उनकी टीस जरूर 
कम कर सकेंगें .....
ये शुक्रवार ,१८ मार्च ,२०११ के हिंदी पेपर हिंदुस्तान,नई दिल्ली  
के फ्रंट पेज पे छपने वाली पेहली लाइन थी |
और ये अपने आप मैं बहुत कुछ केह रही थी 
आज की नौजवान नस्ल को ...बानगी देखिये ...
३५% बजुर्ग हैं...! अपनी सम्पति के मालिक !... 

इसके बावजूद सहते है अपमान,बेरुखी,ओर अपनों 
से परायापन और जिन के पास अपना कहने को
कुछ नही बचा, वो क्या क्या सहते ...........?

तो कम से कम इस बुजर्ग की और से आप सब को बधाई !
मैंने आप सब का इस होली पे, रंगों से भरा हाथ, अपने गालो पे 
प्यार और अपनेपन से भरपूर एहसास के साथ स्पर्श करते 
महसूस किया |
ये प्यार ,अपनापन और एहसास का  कर्तव्य अपने किसी भी 
बुजर्ग को कराने पर, जो मुस्कान से भरपूर संतुष्टि उनके चेहरे पर 
देखने को मिलती है उससे आपको अपने बचपन की खिलखिलाहट
का एहसास होगा |इसके लिए आप धन्यवाद के नही ,अपना कर्तव्य 
निभाने पर बधाई के पात्र हैं |
मेरा यकीन कीजिये ! अपने बजुर्गो के चेहरे पर मुस्कान देखकर 
आप को उससे कई गुना ज्यादा खुशी हासिल होगी जितनी आप ने 
बांटी ! इसको एहसान नही ,अपना कर्तव्य समझ कर करें |
करके देखिये ! आप को सकूं मिलेगा ........
हमेशा खुश और तंदुरुस्त रहिये |--अशोक"अकेला" 



6 comments:

  1. .

    होली के दिन हम आपके घर आये थे ,
    दोनों गालों पर आपके अबीर-गुलाल लगाए थे ।
    आपकी आँखों में मुस्कान थी
    और होठों पर आशीर्वाद था।
    मेरे लिए आपका प्यार पाना ही
    सबसे बड़ा त्यौहार था।

    शुभ होली

    सादर,
    दिव्या

    .

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  2. सही जगह ध्यान दिला रही है आपकी यह पोस्ट नौजवान पीढी के लिये । काश... ऐसे सन्देश अधिक से अधिक इनके वास्तविक स्थान पर प्रसारित हों । शुभकामनाएँ...

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  3. एक बेहतरीन पोस्ट...

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  4. सार्थक पहल।

    होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं।
    जानिए धर्म की क्रान्तिकारी व्याख्या।

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  5. आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा , आप हमारे ब्लॉग पर भी आयें. यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . आपकी प्रतीक्षा में ....
    भारतीय ब्लॉग लेखक मंच
    डंके की चोट पर

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  6. मुझे अफ़सोस है यह बेहतरीन पोस्ट मैं पढ़ नहीं सका :-(
    जो कौम अपने बड़ों को भूल जाती है, उनकी दुर्दशा अवश्य होगी ! व्यस्तता का नाम लेकर, जिन्होंने हमें चलना सिखाया, उनसे मुंह मोड़ना आसान है पर यही दिन देखने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए !
    ऐसे लेख बहुत आवश्यक है, बिडम्बना यह भी है कि इस प्रकार के लेख प्रौढ़ ही लिखते हैं, नवजवानों को कम ही याद है !
    मैं आपको शुभकामनायें देता हूँ

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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