कैसे भूल जाऊं तेरी यादो को, जिन्हे याद करने से तू याद आए॥
पिता का छाता होता ही निस्स्वार्थ है .फिर चाहे वह कैसे भी करे .ऐसे करे या वैसे .मेरी रजा वही है जिसमे तू हो रज़ामंद .
मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........
पिता का छाता होता ही निस्स्वार्थ है .फिर चाहे वह कैसे भी करे .ऐसे करे या वैसे .मेरी रजा वही है जिसमे तू हो रज़ामंद .
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