कुछ दिन पेहले मेरी बड़ी बेटी दीपिका ने मुझे एक एस एम् एस किया था |
और इस एस एम् एस की कहानी के सूत्रधार थे ."बादशाह अकबर ,और उनके
नवरत्नो मैं से एक उनके चेहते रतन "बीरबल "|
मुझको "मैं सिर्फ अपनी बात कर रहा हूँ " ये इतना भाया,इतना अच्छा लगा (हो सकता है
अपने पेहले ही सुना हो पर मुझ तक ये इस उम्र मैं ही पहुचा ) कि मैं इसे अपनों जैसो को
पड़ाने का लोभ दबा नही सका |
"मुझे" लगा कि इस को पड़ कर हर शक्स का भला हो सकता है|
१. जो वर्तमान जीवन बड़े सुख, सकूं,खुशी और हर प्रकार की ऐश से भरपूर
सुविधाओं के साथ बीता रहे हैं ,वो इसको पड़ कर और अपनी खुशियाँ दूसरों
से बाँट कर अपने सुख मैं और इजाफा करेंगे और इस का भरपूर लाभ उठाएंगे |
२. जो शक्स वर्तमान जीवन बड़े दुःख और कष्टों में जी रहे हैं | उन्हें ये पड़ कर
अपने जीवन मैं खुश और सुख के आने का संदेश मिलेगा | और उनकी आँखों मैं
बेबसी की जगह खुशी मिलने की इंतजार में चमक दिखेगी|
बस इतना सा मकसद है मेरा | जिसके पीछे इतनी भूमिका बांधनी पड़ रही है |
और बात अब तक नही बताई ,बस यही ज्ञानी और अज्ञानी में फर्क ......|
"एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा "
बीरबल "आज कुछ ऐसा लिख के बताओ कि उस लिखे
को अगर कोई सुख मैं पड़े तो उसे दुःख का एहसास हो" |
और "उसी लिखे को कोई दुःख मैं पड़े तो उसे सुख का
एहसास हो" |
बीरबल जी ने जो लिखा "वो मेरे जैसो के लिए उपदेश"
आप के लिए " विचार"!
किसी के लिए उपदेश ,किसी के लिए विचार ,पसंद आप की अपनी...
शब्द महान विद्वान बीरबल जी के .......?..(ये वक्त भी गुजर जायेगा )
अशोक"अकेला"
चक्कर आ गया यार चाचू.लेकिन कोई बात नहीं कभी तो समझ आएगा ही.
ReplyDeleteRay of Hope !(उम्मीद की किरण) :) yah vakt bhee gujar jaayegaa !!
ReplyDeleteपरेशान दिल के लिए अच्छी दवा है यह वाक्य ! शुभकामनायें आपको !
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