Thursday, April 14, 2011

अन्ना हजारे का .... सफेद चश्मा ...???


अब क्या कहूँ ?
कैसे कहूँ ?

किस से कहूँ ?
मैं कुछ अब 
बहाने से |

कभी इधर जाऊं 
कभी उधर जाऊं 

कभी ये पुछे 
कभी वो पुछे 

कभी इसको बताऊं  
कभी उसको सुनाऊं 

कुछ मिले फुर्सत 
तो तुम्हे  दिखाऊं 

है एक अनार 
और सौ बीमार

किस को समझाऊं  
किस को मनाऊं

अन्ना हस के बोले 
तुम को तो सब में  
मतभेद नजर आते हैं 

मैंने तो पेहना 
है चश्मा सफेद 

मुझ को तो बस 
सब सफेद नजर 

आते है || 

अशोक"अकेला"


3 comments:

  1. क्या बात है यार चाचू ,सफ़ेद रंग में तो सातों ही रंग होते हैं.

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  2. तुम को तो सब में
    मतभेद नजर आते हैं

    मैंने तो पेहना
    है चश्मा सफेद

    मुझ को तो बस
    सब सफेद नजर

    आते है ||

    यथार्थपरक रचना.... हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete

मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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