ज्यादा मुस्कुराइये मत ...??? ये आप का आने वाला
कल भी हो सकता है !!!
फर्क कल और आज में !
क्या वो भी दिन थे
जब निकलता था मैं
घर से काम को |
छज्जे पे खड़े हो कर
पूछते थे वो "प्यार" से
वापस घर कब आओगे|
अब क्या आज के दिन है
सुबह उठते ही वो
खड़े हो जाते दरवाज़े पर !
केहते हैं बड़े तीखे "वार" से
जल्दी करो ,और भी काम हैं
अब !कब!!!! घर से जाओगे ? |
अशोक"अकेला"|
आखिरी सांस से पहले हम
ReplyDeleteअपनी तकलीफें भूल चुके
रिश्ते नातों और प्यारों का
अहसान, अभी भी भारी है
सही लिखा है आपने,
ReplyDeleteये लाल रंग में धमकी है अथवा चेतावनी? :)
हम तो भुलाए रखेंगे कल को भाई जी .....शुभकामनायें !!
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteसच्चाई तो यही है
वक्त-वक्त की बात है सलूजा साहब ! आपने मेरा इ-मेल पता जानना चाहा था, वह यह है ; godiyalji@gmail.com
ReplyDeleteतकलीफदेह है...पर सच यही है
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