Tuesday, April 26, 2011

आज अपने पे हंसने का मन हो रहा है :-) :-) :-) एक कडवी सच्चाई ........ पर एक व्यंग के रूप में ...

ज्यादा मुस्कुराइये मत ...??? ये आप का आने वाला 
कल भी हो सकता है !!!
  
फर्क कल और आज में !
क्या वो भी दिन थे 
जब निकलता था मैं 
घर से काम को | 
छज्जे पे खड़े हो कर 
                                       पूछते थे वो "प्यार" से 
                                            वापस घर कब आओगे| 

अब क्या आज के दिन है 
सुबह उठते ही वो 
खड़े हो जाते दरवाज़े पर !
केहते हैं बड़े तीखे "वार" से  
जल्दी करो ,और भी काम हैं 
अब !कब!!!! घर से जाओगे ? |

अशोक"अकेला"|

6 comments:

  1. आखिरी सांस से पहले हम
    अपनी तकलीफें भूल चुके
    रिश्ते नातों और प्यारों का
    अहसान, अभी भी भारी है

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  2. सही लिखा है आपने,

    ये लाल रंग में धमकी है अथवा चेतावनी? :)

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  3. हम तो भुलाए रखेंगे कल को भाई जी .....शुभकामनायें !!

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  4. बहुत खूब
    सच्चाई तो यही है

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  5. वक्त-वक्त की बात है सलूजा साहब ! आपने मेरा इ-मेल पता जानना चाहा था, वह यह है ; godiyalji@gmail.com

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  6. तकलीफदेह है...पर सच यही है

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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